Friday, April 29, 2011

आओ बनायें एक आधारशिला

करीब ५ साल पहले अपने फ़िल्मी और व्यक्तिगत जीवन में बहुत से उतार चढावों से गुजरने के बाद मैं दिल्ली में रहकर नए उभरते हुए कलाकारों को एक मंच देने की योजना बना रहा था. जेहन में एक खाका था एक अनूठे एक्टिंग इंस्टिट्यूट का. मैं नए कलाकारों को लेकर अपने महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट "टुकड़े टुकड़े जिंदगी" को मंचित करना चाह रहा था.  दोस्तों के साथ एक लंबी बातचीत के बाद मैंने नाटक को मंचित करने का जिम्मा निर्देशक यासीन खान और छायाकार जॉय कुमार को सौंप दिया. २००७ में दिल्ली और मुंबई में इसके सफल मंचन के बाद निर्णय लिया गया विजुअल मीडिया में कदम रखने का. २००८ में जब हिंद युग्म का पहला ऑडियो "पहला सुर" जारी किया जिसके विमोचन समारोह में मुलाक़ात हुई सजीव सारथी से जो अब मेरे लिए छोटे भाई जैसे हैं. मुझे अल्बम "पहला सुर" में जो गीत सबसे अधिक पसंद आया वो था -"सुब्हा की ताजगी". निर्णय लिया गया कि सबसे पहले इसी गीत का विडियो बनाया जाए. "सुब्हा की ताजगी" के बाद इसी अल्बम से "इन दिनों" और "मुझे दर्द दे" का भी विडियो तैयार हुआ. बहुत से नए कलाकारों को इनमें काम करने का अवसर मिला. इन्हीं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से २०१० में अधिकारिक रूप से "आधारशिला फिल्म्स" की अब स्थापना हुई. फिल्म्स और संगीत के क्षेत्र में कुछ नया और अच्छा रचें और साथ ही इन रचनात्मक अभिव्यक्तियों से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाया जाए यही आधारभूत उद्देश्य हैं. आवाज़ के संचालक सजीव सारथी भी अब अपनी टीम के साथ हमारे साथ जुड चुके हैं.

सजीव सारथी का पहला काव्य संकलन "एक पल की उम्र लेकर" बाजार में आ चुका है. इसी पुस्तक से कुछ कविताओं को आधार बनाकर लघु फिल्मों की एक शृंखला "द अवकेनिंग सीरीस" की हम कल से यहाँ शुरुआत करने जा रहे हैं. १ मई २०११ को इसी कड़ी की पहली लघु फिल्म "दोहराव" की स्क्रीनिंग है. आप सब सादर आमंत्रित हैं.
आपका अपना -
यश  

1 comment:

  1. प्रतिभाशाली रचनाकार सजीव सारथी जी कविताओं पर आधारित लघु फ़िल्म की उत्सुक प्रतीक्षा में।
    *महेन्द्रभटनागर
    फ़ोन : 0751-4092908
    ई-मेल :drmahendra02@gmail.com

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