Sunday, May 1, 2011

dohraav - the awakening series दोहराव

जब किसी इलाके में मच्छर अधिक हो जाए तो सरकार जाग जाती है और डी टी पी की दवाई छिडकती है, ताकि मच्छर मरे और जनता मलेरिया से बच सके. आतंकवाद रुपी इस महामारी से निपटने के लिए सरकार अभी और कितने लोगों की बलि का इन्तेज़ार कर रही है ? क्या हम सिर्फ सरकार के जागने का इंतज़ार कर सकते हैं या कुछ और....

आधारशिला और हिंद युग्म गर्व से पेश करते हैं द अवकेनिंग सीरीस की पहली पेशकश - दोहराव

विचार बीज और कविता है सजीव सारथी की, निर्देशन और संपादन है जॉय कुमार का, संगीत है ऋषि एस का और पार्श्व स्वर है मनुज मेहता का

देखिये और अपनी राय से हमें अवगत कीजिये

2 comments:

  1. बहुत खूब और प्रासंगिक भी !
    सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर सकती, इस बारे में अब किसी को खुशफहमी पालने की कोई ज़रुरत नहीं . हर आदमी अपनी आँखे खुली रखे और और हर अलग तरह की गतिविधि पर नज़र रख कर इस आफत से खुद ही निपट सकता है. अब तक ऐसे जितने भी हादसे हुए हैं उनका इतिहास उठा कर देख लीजिये . सब एक ही कमी का पता चलेगा और वो है लापरवाही . ये भी सत्य है की यदि हम शक करने की आदत दाल लें तो कुछ लोग हमें शक्की और पागल जैसे विशेषण देंगे मगर अनेक जान खोने से तो बेहतर है पागल कहलवाना . इतनी प्रेरक विडियो के लिए बधाई !

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  2. 2.19 ka chitra aur poori film dekhkar aur iska mantavya jaankar yeha kaha ja sakta hai ki if film ke nirmata aur director mein matbhed hain.

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